जिस प्रकार से मातृत्व अवकाश कराया गया है उसी प्रकार , 17000 का मानदेय छीन कर रहेंगे

प्रिय अनुदेशक साथियो
नमस्कार

साथियो विगत दिनों में मेरे द्वारा बताया गया था कि कार्यसमिति से अनुमोदित करा परियोजना से मातृत्व अवकाश का आदेश जारी कराया जा रहा है जो कि कल 3 जनवरी को राज्य परियोजना कार्यालय (सर्व शिक्षा अभियान) द्वारा 3 माह का सवैतनिक अवकाश का आदेश समस्त जनपदों को जारी कर दिया गया है,इससे अब किसी भी महिला अनुदेशक साथी को मातृत्व अवकाश के लिये परेशान नही होना पड़ेगा इसका लाभ हम जैसे संविदा कर्मियों जैसे कस्तूरबा गांधी/शिक्षा मित्र इत्यादि को आधार/लाभ मिलेगा ये भी अभी अधूरी जीत है यदि आप सबका सहयोग मिला तो इस आदेश को 6 माह का सवैतनिक भी कराया जायेगा जिसके लिए विधिक टीम बिल्कुल तैयार है।।


  :- एक कार्यवृति की कॉपी(मानदेय बढ़ोत्तरी) को लेकर वायरल हुआ है जिसमे 9800 रु मानदेय स्वीकृत दिखा रहा है उस कॉपी से आप बिल्कुल भी विचलीत न हो,ये जानकारी हम सबको एक सप्ताह पहले ही हो चूका था जिसके काट की तैयारी विधिक टीम द्वारा पूरी की जा चुकी है बस इंतजार है 1 फ़रवरी 2018 को   जब ये 9800 का आदेश जारी करके कोर्ट में पेश करेंगे तो खुद ही यूनियन आफ इंडिया के वकील और अपने वकील की दलीलों से ये आदेश रद्द हो जायेंगा  सरकार अभी भी केंद्र सरकार के 60% यानी 17000 में 10800 का भुगतान भी नहीं कर रही  सरकार 15000 में निस्तारण में 17000 खुद स्वीकार की है जिसे देना प़डेगा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण अनुदेशिकाओ के मातृत्व अवकाश में देखने को मिला शासन द्वारा पहले कहा गया कि कोई मातृत्व अवकाश संविदा कर्मचारियों के लिये नहीं है बाद में 90 दिन का अवैतनिक किये फिर कोर्ट के डंडे और वकील की बेहतर बहस से 90 दिन का सवैतनिक किये है ।


अनुरोध समस्त अनुदेशक साथीओ से कृप्या विचलीत ना हो 1 फ़रवरी तक का इंतजार करे किसी भी अग्रिम पहल करने से पहले इस मजबूत याचिका के 1 फ़रवरी की बहस का इंतजार करें भुगतान सरकार को जो करना है करती रहे करें किसी भी प्रकार की ऊहापोह में ना पड़े सरकार जो कर रही करने दे अपना पक्ष मजबूत है,बिना कोर्ट के फटकार के ये सुधरते नही है,विधिक टीम द्वारा तैयारी जबरजस्त किया जा चुका है जिस प्रकार से मातृत्व अवकाश कराया गया है उसी प्रकार शासन को झुका कर न्यायालय द्वारा हम सब अपना अधिकार रु 17000 का मानदेय छीन कर रहेंगे बस आप सब सहयोग निरन्तर मिलता रहे।।

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